
Vrat Katha
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भारतीय संस्कृति में व्रत-पूजा आदि निरे ऐकान्तिक-व्यक्तिगत कर्म नहीं रह जाते, किसी-न-किसी रूप में समाज से उनका जुड़ाव रहता है| इन व्रतों में पति-पुत्र के दीर्ध जीवन की कामना, और परिवार की सुख-समृद्धि की शुभेच्छा है वहीं उसका समापन, सबकी मंगल-कामना के साथ होता है| व्रत, धर्म का साधन माना गया है। संसार के समस्त धर्मों ने किसी न किसी रूप में व्रत और उपवास को अपनाया है। व्रत के आचरण से पापों का नाश, पुण्य का उदय, शरीर और मन की शुद्धि, अभिलषित मनोरथ की प्राप्ति और शांति तथा परम पुरुषार्थ की सिद्धि ह
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